कृष्ण जन्माष्ठ्मी 2018
श्री कृष्ण जन्माष्ठमी |
श्री कृष्ण का जन्म एक नये युग का आरम्भ , नयी सम्भावनाऔं का उद्भव ,नयी सोच का जन्म, वीरता ,धर्म, कर्मयोग, सांख्ययोग ,नये आदर्शों का उद्भव , प्रेम , वात्सल्य , ममत्व ,दया ,करुणा, मीत्रता , भक्ति , युग नायक ,कान्हा, कृष्णा ,मुरलीधर, रासरचय्या, पथपदर्शक , महाविज्ञानी ,दिव्यदृष्टा ,सुदर्शनधारी ,महायोगी, गोपाल, मोहन , भगवत गीता के रचयीता ,और ब्रह्माण्ड नायक अनन्त गुणोंं के स्वामी सभी कलाओं को धारण करने वाले श्री कृष्ण भगवान को किसी भी रचना में समाहित करना कभी भी सम्भव नहिं हैं ।
श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष कि अष्ठमी को माँ देवकी कि आठवीं संतान के रुप में कंस के महल में एक काल कोटरी में श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। इसलिए भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को यदि रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग हो तो वह और भी शुभ माना जाता है।
भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा ----
कंस भगवान श्री कृष्ण का मामा था लेकिन वह बहुत आततायी राजा था ।
उसने अपने माता पिता को भी राजा बनने के लिए काल कोटरी में कैद कर दिया था ।
कंस के आतंक से उसकी प्रजा बहुत ही परेशान रहती थींं ।
वह अपनी प्रजा पर अत्यधिक कर लगाता था और उनके द्वारा निकाले गए सभी मक्खन को वह अपने लिए मंगवाता था ।
इस प्रकार वह अपनी प्रजा को बहुत कष्ट दिया करता था।
इस आतंक से बचने के लिए मथुरा वासियों ने भगवान से प्राथना कि और भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया था ।
कंस ने अपनी प्रिय बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वसुदेव से करवाया था। लेकिन जब कंस अपनी बहन को रथ में बिठा कर वसुदेव के घर ले जा रहा था तभी तुरन्त बाद ही एक आकाशवाणी हुई की...
"हे कंस पृथ्वी को तुम्हारे आतंक से मुक्त करने के लिए और पृथ्वी पर अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना करने के लिए कंस तेरा वध करने के लिए श्री कृष्ण देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लेंगे "
इस आकाशवाणी को सुनकर राजा कंस बहुत ही क्रोधित हुआ और उसने अपनी बहन तथा बहनोई वसुदेव को कारागार में कैद कर दिया था।
कंस बहुत भयभीत हो गया था और उसने सोचा की विष्णु भगवान मेरे साथ छल करके किसी भी संतान के रूप में जन्म ले सकते हैं ।
इसलिऐ कंस ने अपनी बहन देवकी की सभी संतानों को समाप्त करने का निर्णय लिया ।
और उस राक्षसी बुद्धी के कंस ने प्रथम छःसंतानों को मृत्यु दे दी ।
सातवीं संतान के रूप मेंं बलराम का जन्म यदूकुल के चंद्रवंश में हुआ।
7वें पुत्र के रूप में नाग के अवतार बलराम जी थे जिसे श्री हरि ने योगमाया से रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया।
इसलिऐ कंस ने अपनी बहन देवकी की सभी संतानों को समाप्त करने का निर्णय लिया ।
और उस राक्षसी बुद्धी के कंस ने प्रथम छःसंतानों को मृत्यु दे दी ।
सातवीं संतान के रूप मेंं बलराम का जन्म यदूकुल के चंद्रवंश में हुआ।
7वें पुत्र के रूप में नाग के अवतार बलराम जी थे जिसे श्री हरि ने योगमाया से रोहिणी के गर्भ में स्थापित कर दिया।
आठवें गर्भ में कृष्ण थे।
वसुदेव जी श्री कृष्ण को गोकुल ले जाते हुए |
जब मध्यरात्री में श्री कृष्ण ने माँ देवकी के गर्भ से अवतार लिया तभी श्री हरि विष्णु की योगमाया से कारागार के सभी दरवाजे खुल गए और सभी सैनिक अचेत हो गए और योगमाया ने वसुदेव से कहा कि आप इस बालक को लेकर गोकुल में जाऐं वहां नन्द के घर में एक पुत्री का जन्म हुआ है, आप अपने पुत्र को नन्द के घर रखकर उसकी पुत्री (जो की एक देवी थी ) को लेकर आऐं क्योंकी कंस केवल पुत्र को मारना चाहता है और वह जब पुत्री को देखेगा तो वह उसे नहीं मारेगा ।
इस प्रकार वसुदेव बालक श्री कृष्ण को एक टोकरी में रखकर मध्यरात्री में कारागार में से निकल कर मुसलाधार बरसात में तथा आँधी-तुफान से होकर यमुना नदी की अत्यन्त तेज धार को पार करते हुए गोकुल में पहुँच गये ।
जब वसुदेव नन्द के घर पहुँचे तो श्री हरि की कृपा से नन्द घर के बाहर इन्तजार कर रहे थे ।
वसुदेव ने कहा कि यह मेरा पुत्र हैं और मैं इसे आपको सौंप रहा हूँँ आप अपनी पुत्री को हमें सौंप दें यही भगवान श्री हरि विष्णु की ईच्छा हैं ।
नन्द नें अपनी पुत्री को वसुदेव को सौंप दिया ।
श्री कृष्ण-यशोदा माँ |
यशोदा मंय्या को मुख में संम्पुर्ण ब्रह्माण्ड के दर्शन करवाना |
श्री कृष्ण का माखन चुराना माँ यशोदा का डाँटना |
जिसे लेकर वसुदेव मथुरा में गये और फिर कारागार में चले गए ।
जैसे ही वसुदेव कारागार में गये कारागार के सभी दरवाजे बंद हो गए और सभी सैनीक अचेतन कि अवस्था से बाहर निकल गये ।
सुबह कंस कारागार में आया और कंस ने देवकी से कहा-- अपने पुत्र को हमें सौंप दे ।
देवकी ने कहा --- मेरे इस बार पुत्र ने जन्म नहिं लीया हैं , मेरे तो पुत्री हुई हैंं ।
कंस ने कहा---चाहे पुत्र हो या पुत्री मुझे उस विष्णु पर विश्वास नहिं हैं वह किसी भी रुप में मेंरा काल बन सकता हैंं ,इसलीये मैं तुम्हारी किसी भी संतान को जीवित नहीं रहनें दुँगा सबको मृत्यु दूँगा ।।
योगमाया द्वारा कंस को चेतावनी |
जब कंस ने देवकी की पुत्री(अर्थात् यशोदा की) को मारनें के लिए प्रयास किया तो वह पुत्री एक देवी के रूप में प्रकट हुई और उस देवी ने कंस से कहा कि -------
" हे दुष्ट पापी कंस तुजे मारनें वाला तो गोकुल में जन्म ले चुका हैं । पृथ्वी को तुम्हारे आतंक से मुक्त करने के लिए श्री हरि विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में जन्म ले लिया है । "
करौली की कैलादेवी |
वह देवी राजस्थान के करौली जिले में केला देवी के नाम से जानी जाती हैं और केला देवी अभ्यारण्य में इनका मन्दिर स्थीत हैं।
निष्काम कर्म योग का रहस्य |
इस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ और भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवन में संसार को एक नयी राह प्रदान की --- ।। निष्काम कर्म किये जा फल कि ईच्छा मत करो, क्योंकि तुम्हारा अधीकार केवल कर्म पर हैंं फल पर नहिं हैं ।।
श्री कृष्ण के संसार में अवतरण का मुल रहष्य |
" यदा यदा हि धर्मस्य , ग्लानिर्भवति भारत्ः ।
अभ्युथानमधर्मस्य , तदात्मानम् स्रीजाम्हम् ।।
परित्राणाय्ः साधुनाम् विनाशाय च दुष्क्रताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय्ः , संम्भवामि युगे युगे ।।"
अर्थात् जब-जब इस संसार में धर्म की हानि होगी और अधर्म का विकास होगा तब तब मैं इस संसार में धर्म की स्थापना करने तथा साधु और सज्जनों की रक्षा करने के लिए युगों युगों तक अवतार लूंगा ।
महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी और पथपदर्शक |
श्री कृष्ण का विराट रूप धारण करना |
गोपाल मुरलीधर |
सभी लोगों को भगवत् गीता का पाठ करना चाहिए। इससे सभी मनुष्यौं कि समस्याऔं का समाधान हो जाता हैं ,मन को अपार शान्ती व आनन्द कि प्राप्ती होती हैं ।
सभी मनुष्यों की मुक्ति का सबसे सरल मार्ग गीता में बताया गया है ।आप लोगों की मानसिक व्यवहारीक करीयर या किसी भी प्रकार की तनाव सम्बन्धी समस्याऔं का समाधान गीता का पाठ करने से हल हो जाएगा ।
श्री मद्भगवद् गीता |
जय श्री कृष्ण... जय श्री कृष्ण...जय श्री कृष्ण....
सभी पृथ्वी वासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनायें ।।।
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मुकेश कुमावत कि ओर से सभी भाइयों को कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें .....।
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