Kundalini yoga | yoga technique for Kundalini Awakening

-: कुण्डलीनी योग :-

कुण्डलीनी :-- कुण्डलीनी शक्ति क्या हैंं ।


Kundalini Yoga


कुण्डलीनी शक्ति को आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक दोनो आधार पर समझना होगा ।

आध्यात्मिकता(Spirituality) के आधार पर :--  भारत देश में प्राचीन समय से ही योग और आध्यात्म का विकास होता रहा है ।

वर्तमान समय में भारत से ज्ञान के प्रकाश पुँज से निकली किरणे सम्पूर्ण विश्व को योग का ज्ञान प्रवाहित कर रही हैं ।

आध्यात्मिक या योग के आधार पर कुण्डलीनी शक्ति को 7 अन्य भागों में वर्गीकृत किया गया है।

१.चित्त या चेतना शक्ति २. प्राण शक्ति ३. नाड़ी शक्ति ४. स्वर-शक्ति ५. तत्व शक्ति  ६. चक्र शक्ति            ७. कुण्डलीनी शक्ति

कुण्डलीनी शक्ति को जागृत करने के लिए इन सभी ७ शक्तियों का ज्ञान होना आवश्यक हैं तथा सभी 7 शक्तियों का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं ।

सभी ७ शक्तियों का विस्तृत वर्णन करते हैंं ।

१. चित्त या चेतना शक्ति :- इसमें भी स्थुल, सूक्ष्म, और कारण-शरीर तीन भाग हैं ।

◆ स्थूल शरीर -- रज-वीर्य से उत्पन्न होने वाला तथा अन्न जल से बढ़ने वाला, पाँच भूतों -- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना हुआ स्थूल शरीर है।

• जाग्रत अवस्था- जब तमो गुण(आलस्य, प्रमाद, हिनता, डर,अन्धकार)  रजोगुण (उत्तेजना, क्रोध, निर्भय, प्रकाश, गर्म) से दबा हुआ होता है, तब जाग्रत्-अवस्था में सारे सांसारिक कार्य स्थूल जगत में इसी स्थूल शरीर के द्वारा किए जाते हैं।

इसी शरीर में जन्म-मरण, इसी में ही बुढ़ापा, रोगादि व्याधियाँ होती है ।

◆सूक्ष्म शरीर :- पांच ज्ञानेंद्रियां- शक्ति मात्र नासिका, रसना(जीभ), चक्षु,  श्रोत्र और त्वचा ।

और पांच कर्मेंद्रियां- शक्ति मात्र हस्त,  पाद, वाणी, गुदा, उपस्थ(लिंग) और ग्यारहवाँ मन जिसके द्वारा यह शक्तियां कार्य करती हैं ।

तथा जिसमें संकल्प तथा विकल्प होते हैं । पाँच सूक्ष्म भूत अथवा प्राण और अहंकार, अहंकार पैदा करने वाली शक्ति,  बुद्धि चित्त सहित निर्णय करने वाली, तथा भावों और  संस्कारों को रखने वाली शक्ति यह 18 शक्तियों का समूह है ।

सूक्ष्मशरीर कहलाता है ।

• स्वप्न -- जब बाहर के कार्यों से शरीर थक जाता है।

  तब तमोगुण रजोगुण को दबाकर स्थूल शरीर को स्थूल जगत में अर्थात संसार में कार्य करने से असमर्थ कर देता है।

किंतु तमोगुण से दबा हुआ सूक्ष्मशरीर जागृत अवस्था की स्मृति के कल्पित विषय में कार्य करना आरंभ करता है वह स्वप्न कहलाता है ।

★ सम्प्रज्ञात-समाधि -- इसी प्रकार जब समाधि अवस्था में रजोगुण को सत्व गुण दबा लेता है।

 तब स्थूल शरीर स्थूल दशा में व्युत्थान के कार्य बंद कर देता है।

 किंतु सूक्ष्म शरीर सत्व गुण  का प्रकाश पाकर सूक्ष्म जगत में कार्य करता रहता है ।

जहां स्वप्न में तमोगुण के अंधकार में सब अदृश्य कल्पित होते हैं, वहां समाधि अवस्था में सत्व गुण की प्रधानता से उसके प्रकाश में ध्येय वस्तु के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होता है ।

इसे सरल शब्दों में इस प्रकार समझ सकते हैं की जो कार्य हम जागते हुए करते हैं उसके कारण हमारा शरीर थक जाता है।

 और थकने की वजह से हमारे शरीर  पर तमोगुण रूपी आलस्य हावी हो जाता और हम सो जातेे हैं।

 उस समय हमारा स्थूल शरीर कार्य नहीं करता है लेकिन हमारा सूक्ष्म शरीर उन कल्पनाओं को प्रदर्शित करता है जो हम जागते हुए करते हैं वही स्वप्नन होता ।

                        और समाधि की अवस्था में हमारा स्थूल शरीर तो निष्क्रिय रहता है ।

लेकिन हमारे सूक्ष्म शरीर पर सत्वगुण का प्रकाश पड़ता है जिससे रजोगुण और तमोगुण दब जाते हैं।

 इसलिए हम जो भी कल्पना करतेे हैं जो भी विचार करते है ।
वह हमारे नियंत्रण मेंं होता और सत्य वास्तविक होता है ।

चित्त को एक पतंग की तरह समझना चाहिए और प्राणों को उसकी डोरी तथा हृदय को उसकी चरखी समझना चाहिए।

 जब चित्त या मन पतंग की तरह उड़ता है लेकिन जब उसे कहीं भी आश्रय नहीं मिलता है तो वह वापस प्राणों की डोर से खींचा हुआ अपने चरखी रुपी हृदय में स्थापित हो जाता है।

 योगी जन इसी प्रक्रिया के द्वारा अपने चित्त को अपने सूक्ष्म शरीर से बाहर ले जाकर सुक्ष्म जगत की यात्रा करते हैं।

 इसका वर्तमान समय में वैज्ञानिकों ने भी प्रमाण दिया हैं।

इस फोटो में पढ़ें - 


Kundalini Yoga Consciousness Power
Consciousness power
हमारे सूक्ष्म शरीर द्वारा चित्त अर्थात् चेतना में हमारे जन्म, आयु, कर्म, तथा इच्छा रूपी वासनाऐं(कर्माशय)आदि संस्कार रुप में एकत्रित होते रहते हैं । (जैसे किसी memory card में स्टोर होता है)

             यही संस्कार हमारे पुनर्जन्म के लिए उत्तरदायी होते हैं ।

जिस प्रकार चरखी का डोरा समाप्त होता है ।
और पतंग को दूसरी चरखी से जोड़ दिया जाता है।

उसी प्रकार इस शरीर की आयु समाप्त होने पर हमारा चित्त भी इस शरीर को छोड़कर अन्य शरीर को धारण करने के लिए किसी ऐसे गर्भ से जुड़ जाता है, जो इस चित्त में समाहित संस्कारों के अनुरूप होते है । 

वहाँ उसके हृदयग्रन्थि रूपी चर्खी में इसके प्राणों कि गाँठ लग जाती हैं।

 और इस शरीर के साथ पूर्ववत् कार्य होने लगते हैं । जिसे उसके संस्कारों के अनुरूप चित्त नहीं मिलता है , वह चित्त (चेतना) इस ब्रह्माण्ड में भटकता रहता है ।


        !! अनन्तं वै मनः !!
अर्थात् चित्त अनन्त है, विभु हैं।

समाधि में जितनी मात्रा में सत्व गुण तमोगुण व रजोगुण से दबकर रहता है ।

उतने ही अंश में यह दृश्य कल्पित होते हैं , एकाग्रता के बढ़ने के साथ-साथ जितना जितना सत्व का प्रकाश बढ़ता जाता है, 

उतनी-उतनी इन दृश्यों की वास्तविकता बढ़ती जाती हैं ।

                                    और जिस विषय पर हमारा लक्ष्य होता है उसका पूर्ण रूप से वास्तविक ज्ञान प्राप्त हो जाता है यही समाधि का लक्ष्य हैंं ।

◆ कारण-शरीर- चेतन से प्रतिबिंबित सत्वचित्त् जिसमें अहंकार बीज रुप से छिपा हुआ अपने कार्य को बंद किए हुए रहता है।

 जिसकी संज्ञा अस्मिता है उसको कारण शरीर समझना चाहिए । जब तमोगुण रजोगुण को इतना दबा लेता है कि सूक्ष्मशरीर स्वप्न में भी कार्य करने में असमर्थ हो जाता है।

तब सुषुप्ति अवस्था आती हैं ; इस अवस्था में केवल कारण शरीर में ही कार्य होता है । कारण शरीर के तमोगुण से आच्छादित होने के कारण केवल अभाव की प्रतीति होती है ।

इसके अतिरिक्त तमोगुण के अंधकार में न तो बाहर का कुछ ज्ञान होता है और ना ही भीतर का कुछ ज्ञान होता है। 
                              इसी प्रकार जब समाधि की एकाग्रता बढ़ाने पर सत्व रजस को इतना अधिक दबा लेता है की सूक्ष्म शरीर एकाग्रता वाली वृत्ति को दिखाने में भी असमर्थ हो जाता है।

 तब सत्व के अत्यधिक प्रकाश में विवेक ख्याति उत्पन्न होती है ; विवेक ख्याति का कार्य कारण शरीर में होता है।  इसमें आत्मा की चित्त से भिन्नता प्रतीत होती हैं।

 अर्थात चित्त द्वारा आत्मा का साक्षात्कार हो जाता है , किंतु यह आत्मा का शुद्ध स्वरूप नहीं होता है, इसलिए यह स्वरूप स्थिति नहीं है ।

विवेक ख्याति भी एक वृत्ति ही है, क्योंकि इसमें भी रजोगुण कुछ अंश में बना रहता है।

 जो इस वृति के उदय होने का कारण है, इसका भी पूरी एकाग्रता व स्थिरता के साथ निरोध हो जाता है, तब इस कारण शरीर से भी भिन्न जो आत्मा का अपना निजी शुद्ध परमात्मस्वरुप है, वह साक्षात् हो जाता है

   ... NEXT
 POST COMING SOON...

Please share this post....
                                               Thanks

By Mukesh kumawat...

यह पोस्ट कैसी लगी कृपया कमेंट करके बताएं ।

Comments