।। योगः कर्मशु कोशलम् ।।
।। सत्य ।।
एक गडरिया था।
वह अपनी भेड़ बकरियों को जंगल में चराने जाता था।
लेकिन उसकी एक आदत थी कि वह झूठ बोलकर लोगों की मजाक उड़ाया करता था।
।। सत्य ।।
।। सत्यम्ः शिवम् सुन्दरम् ।। |
सत्य हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है ।
सत्य की बहुत परिभाषाएं प्रचलित हैं , लेकिन सत्य तो स्वयं में परिभाषित हैं ।
क्योंकि सत्य स्पष्ट होता है, सार्वभौमिक होता है ।
सत्य हमें जीवन की हर महत्वपूर्ण घटनाओं में घटनाओं के मूल अस्तित्व को पहचानने जानने का आधार प्रदान करता है।
सत्य हमारे जीवन में हमारे व्यवहार हमारे व्यक्तित्व तथा हमारा दूसरों के साथ संबंध को मजबूत करने के लिए बहुत ही मूलभूत कड़ी के रुप में होता है।
सत्य हमारे जीवन में हमारे व्यवहार हमारे व्यक्तित्व तथा हमारा दूसरों के साथ संबंध को मजबूत करने के लिए बहुत ही मूलभूत कड़ी के रुप में होता है।
" सत्य के बिना कोई भी चाहे वह रिश्ता हो या जीवन का कोई भी पहलू स्थाई नहीं रह सकता सत्य का ना होना उस पहलू के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।"
मनुष्य जीवन में सत्य उसका मूल अस्तित्व होता है।
सत्य उससे अलग नहीं होता लेकिन जैसे जैसे मनुष्य अपने जीवन में समय के साथ स्वार्थ अभिमान लालच ईर्ष्या आदि के संपर्क में आता है ।
तो उसे सच्चाई से दूर होने की मजबूरी महसूस होती है और वह अपने जीवन को अपने मूल अस्तित्व( सत्य) से अलग कर लेता है।
लेकिन इस मूल अस्तित्व से अलग होकर वह चाहे जितना भी सुख अर्जित कर ले लेकिन सच्चाई अर्थात सत्यता उसको एक दिन उसके मूल अस्तित्व के रूप में लेकर आती है।
और उस वक्त उसके जीवन में जो कुछ भी उसने पाया है, वह समूल नष्ट हुआ सा प्रतीत होता है, और वह जिस अस्थाई सुख में जी रहा होता है, वह सब स्थाई दुख में परिवर्तित हो जाता है।
और उस वक्त उसके जीवन में जो कुछ भी उसने पाया है, वह समूल नष्ट हुआ सा प्रतीत होता है, और वह जिस अस्थाई सुख में जी रहा होता है, वह सब स्थाई दुख में परिवर्तित हो जाता है।
इसका अर्थ है की मनुष्य चाहे जो भी करें या जो भी सोचें वह यह अवश्य ध्यान में रखें की उसकी यह सोच या उसका यह कार्य भविष्य में उसके सामने एक बोझ बनकर नहीं उभरे !
अपितु उसके जीवन में भूत, भविष्य और वर्तमान सभी में स्थाई आनंद की अनुभूति देने वाला हो ।
और उसके कार्य से किसी अन्य प्राणी को चाहे वह मनुष्य हो या कोई जीव-जंतु या संसार में उपस्थित किसी सजीव निर्जीव अर्थात पेड़ पौधे जल वायु ,पृथ्वी ,अंतरिक्ष के अन्य पिंड किसी को भी हानि ना हो ।
और उसके कार्य से किसी अन्य प्राणी को चाहे वह मनुष्य हो या कोई जीव-जंतु या संसार में उपस्थित किसी सजीव निर्जीव अर्थात पेड़ पौधे जल वायु ,पृथ्वी ,अंतरिक्ष के अन्य पिंड किसी को भी हानि ना हो ।
और ऐसे सत्य का परित्याग करना चाहिए जो देखने में ही सत्य लगे लेकिन उसके परिणाम बहुत ही दुखदाई हो ।
या ऐसा सत्य जो किसी उत्तम कार्य को बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य को जो इस प्रकृति के लिए समाज के लिए एक राष्ट्र के लिए समस्त विश्व के लिए महत्वपूर्ण हो अवरुद्ध करता है।
उसे केवल सत्य का आभासी रूप ही समझना चाहिए और उसका परित्याग करना अति आवश्यक है।
या ऐसा सत्य जो किसी उत्तम कार्य को बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य को जो इस प्रकृति के लिए समाज के लिए एक राष्ट्र के लिए समस्त विश्व के लिए महत्वपूर्ण हो अवरुद्ध करता है।
उसे केवल सत्य का आभासी रूप ही समझना चाहिए और उसका परित्याग करना अति आवश्यक है।
सत्य को परिभाषित नहीं किया जा सकता लेकिन कुछ उदाहरणों से इसे समझा जा सकता है।
जैसे एक कहानी जो हम बचपन में जो हम बचपन में अपनी किताबों में पढ़ते थे ।
जैसे एक कहानी जो हम बचपन में जो हम बचपन में अपनी किताबों में पढ़ते थे ।
एक गडरिया था।
वह अपनी भेड़ बकरियों को जंगल में चराने जाता था।
लेकिन उसकी एक आदत थी कि वह झूठ बोलकर लोगों की मजाक उड़ाया करता था।
वह एक दिन जंगल में भेड़ बकरियां चरा रहा था और तभी उसने जोर जोर से जोर से से चिल्लाना शुरु कर दिया।
वह कह रहा था _ अरे बचाओ.... बचाओ....भेड़िया आया....भेड़िया आया.... वह मेरी बकरियों को खा जाएगा वह बार-बार इस तरह चिल्लाता रहा।
उसकी आवाज को आसपास के खेतों में काम कर रहे लोगों ने सुना ।
लोगों ने सोचा कि इस गडरिये की मदद करनी चाहिए तो कुछ लोगों ने उसकी मदद करने के लिए अपने काम को छोड़कर उसके पास गए।
वह लोग यह देख कर कर स्तब्ध रह गए की जैसे ही वह उसके पास पहुचे तो वह जोर जोर से हंसने लगा और कह रहा था कि आप लोगों को मैंने मूर्ख बनाया मैं मजाक कर रहा था यहां कोई भेड़िया नहीं आया है मैंने आप को मूर्ख बनाया मैंने आप को मूर्ख बनाया बहुत मजा आया बहुत मजा आया।
लोगों ने उसे डांटा और वहां से अपने खेतों की ओर लौट गए वह गडरिया इसी प्रकार अनेक बार झूठ बोलता और लोगों की मजाक बनाता था।
एक दिन की बात है।
जब वह गडरिया जंगल में अपनी भेड़ बकरियों को चरा रहा था, तभी अचानक उसकी भेड़ बकरियों में भगदड़ मच गई वह यह देख कर चौंक गया कि उसकी एक बकरी को भेड़िए ने अपने मुंह में दबा लिया था।
आज सत्य में उसकी बकरी को भेड़िए ने पकड़ लिया था।
यह देखकर वह जोर-जोर से लोगों को बुलाने के लिए चिल्लाने लगा भेड़िया आया , भेड़िया आया....., बचाओ-बचाओ........ मेरी बकरी को ले जाएगा....... बकरी को ले जाएगा....... ले जाएगा..... वह रोने लगा।
लोगों ने उसे डांटा और वहां से अपने खेतों की ओर लौट गए वह गडरिया इसी प्रकार अनेक बार झूठ बोलता और लोगों की मजाक बनाता था।
एक दिन की बात है।
जब वह गडरिया जंगल में अपनी भेड़ बकरियों को चरा रहा था, तभी अचानक उसकी भेड़ बकरियों में भगदड़ मच गई वह यह देख कर चौंक गया कि उसकी एक बकरी को भेड़िए ने अपने मुंह में दबा लिया था।
आज सत्य में उसकी बकरी को भेड़िए ने पकड़ लिया था।
यह देखकर वह जोर-जोर से लोगों को बुलाने के लिए चिल्लाने लगा भेड़िया आया , भेड़िया आया....., बचाओ-बचाओ........ मेरी बकरी को ले जाएगा....... बकरी को ले जाएगा....... ले जाएगा..... वह रोने लगा।
लोगों ने जब यह सुना तो उन्होंने सोचा यह तो वही गडरीया है, जिसने पहले भी बहुत बार झूठ बोलकर हमारा मजाक बनाया था।
इसलिए हमें उसकी किसी भी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए कहीं वह आज भी झूठ बोल रहा हो अतः हमें अपना काम छोड़कर उसके पास नहीं जाना चाहिए।
इसलिए हमें उसकी किसी भी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए कहीं वह आज भी झूठ बोल रहा हो अतः हमें अपना काम छोड़कर उसके पास नहीं जाना चाहिए।
इस प्रकार उस गडरीये की सहायता करने के लिए कोई भी नहीं गया और उस गडरिये की बकरी को वह भेड़िया जंगल में लेकर चला गया और वह वह कुछ नहीं कर सका।
इस कहानी से यह बात समझ में आती है, कि जीवन में सच्चाई का या सत्य का कितना महत्वपूर्ण स्थान है सत्य हमें लोगों से जोड़ता है ।
"हमारे कार्यों को सरल करने में हमें सफल बनाने में सत्य बहुत ही महत्वपूर्ण है।"
और दूसरी तरफ असत्य हमें अस्थाई सुख दे सकता है , लेकिन उसके बाद कभी न कभी हमें ऐसे दुख से गुजरना पड़ता है, जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की होती है।
और इस दुख के साथ हम बहुत से लोगों से दूरियां बना लेते हैं।
और इस दुख के साथ हम बहुत से लोगों से दूरियां बना लेते हैं।
इस दुनिया में उस समय हमारी बातों पर विश्वास करने वाला समझने वाला मानने वाला वाला कोई भी नहीं रहता है।
हम एक विश्व में रहकर भी अकेले से हो जाते हैं इसलिए सत्य को जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए।
" जो मनुष्य अपने जीवन में सत्य को हमेशा जागृत रखता है वह इस संसार में सर्वश्रेष्ठ श्रेणियों में अपने आप को स्थित करता है।"
" सभी सफलताओं का मूल सत्य ही हैं ।"
To be continued...
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