सुबह-सुबह करें प्राणायाम | Do pranayam in the morning for good health

सुबह के समय प्राणायाम करने से हमारे स्वास्थ्य को बहुत ही लाभ होता है सुबह के समय पर्यावरण के अंदर शुद्धता होती है, शुद्ध ऑक्सीजन होती है!
इस प्रकार शुद्ध वातावरण में प्राणायाम करने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत संतुलित रूप से निर्मित होती है जिससे हमारा स्वास्थ्य बिल्कुल सही रहता है! सुबह के समय प्राणायाम करने से हमारा पूरा दिन बहुत ही अच्छा गुजरता है और हमारा मन भी संतुलित रहता है हम जो भी कार्य करते हैं उस कार्य को पूरी लगन से कर पाते हैं! प्राणायाम का संबंध हमारे श्वास अंदर लेने और बाहर निकालने की क्रिया से होता है स्वास को पूर्णतया नियंत्रित करना और संतुलित रूप से प्राणों का उपयोग अपने स्वास्थ्य को निरोग बनाने के लिए एक योगी करता है प्राणायाम हमारे शरीर में उपस्थित सभी प्राण को नियंत्रित करते हैं और शरीर में छुपी हुई आत्मीय शक्तियों को संतुलित करने के साथ-साथ जागृत करने के लिए तैयार करते हैं प्राणायाम के द्वारा जब हम सांस को नियंत्रित कर लेते हैं तो मन पर भी नियंत्रण प्राप्त हो जाता है! 
किसी भी कार्य को सही तरीके से करने के लिए मन का स्थिर होना बहुत ही आवश्यक होता है मन को फिर करने के लिए प्राणायाम एक उपयोगी तरीका है और जब मन नियंत्रित हो जाता है तो हमारा हर कार्य सफल होता है तो दोस्तों आज हम जानते हैं कि वह कौन कौन से प्राणायाम है इनको करने से हमारा शरीर मन और आत्मा बिल्कुल निरोग संतुलित और स्वस्थ हो जाएंगे जिससे हम अपने जीवन में हर कार्य को पूरी जागरूकता के साथ कर पाएंगे और अपने जीवन को सफल बना पाएंगे!

सुबह-सुबह करें प्राणायाम | Do pranayam in the morning for good health
Photo by Felipe Borges from Pexels

 सुबह-सुबह करने के लिए प्राणायाम !

1. भस्त्रिका प्राणायाम 
2. कपालभाति प्राणायाम 
3. अनुलोम विलोम प्राणायाम 
4. सूर्यभेदी प्राणायाम ( सर्दी में )
5. चन्द्रभेदी प्राणायाम ( गर्मी में )
6. भ्रामरी प्राणायाम 

1. भस्त्रिका प्राणायाम 

सर्वप्रथम किसी भी आसन में पीठ और कमर को सीधा रखते हुए आराम से बैठ जायें !
अपने दोनों हाथो को ज्ञान मुद्रा बनाकर घुटनो पर रखे !
अब स्वांस को गहराई से अंदर ले और बहार निकले !
अर्थात पूरक और रेचक करे !
यह प्राणायाम कम से कम प्रतिदिन 5 मिनिट जरूर करना चाहिए !
इस प्राणायाम को प्रतिदिन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती हैं! फेफड़े की कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती हैं !

2. कपालभाति प्राणायाम

किसी भी आराम दायक आसन में बैठ जाएँ !अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखें !कपालभाति करते समय स्वांस को झटके से बाहर निकालते अर्थात रेचक की प्रक्रिया को झटके से किया जाता है ! और स्वांस को अंदर लेने की प्रक्रिया को स्वतः होने देते हैं !
रेचक की प्रक्रिया करते समय पेट को अंदर लिया जाता हैं और पूरक की प्रक्रिया करते समय पेट को बाहर निकला जाता हैं!
यह प्राणायाम लोहार की धोंकनी के समान हवा बाहर और अंदर लेने के तरीके से सम्बंधित हैं !
कपालभाति प्राणायाम करने से हमारा मस्तिष्क और पेट से सम्बंधित रोग नष्ट हो जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य पूर्ण रूप से निरोग हो जाता हैं !यह प्राणायाम करने से हमारा पाचन तंत्र बहुत मजबूत होता हैं! कपालभाति प्राणायाम चेहरे की सुंदरता के लिए बहुत अच्छा हैं !

3. अनुलोम विलोम प्राणायाम 

किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाये और अपने हाथो को ज्ञान मुद्रा में अपने दोनों घुटने के ऊपर रखे !
अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नथुने को बंद करे और बाएं नथुने से स्वांस को अंदर भरे और फिर बाएं नथुने को मध्यमा और उसके पास वाली उंगली के द्वारा बंद करे और दाएं नथुने से स्वांस को बाहर निकालें फिर दाएं नथुने से ही स्वांस को अंदर लें और फिर अंगूठे से दाएं नथुने को बंद करें और बाएं नथुने से स्वांस को बहार निकालें !
यह एक प्राणायाम पूर्ण हुआ!
इसी प्रकार इस प्राणायाम को प्रतिदिन 25  से 40 बार जरूर करना चाहिए !
इस प्राणायाम को करने से सुषुम्णा नाड़ी सक्रीय होती हैं और प्राणों  का प्रवेश इड़ा व पिंगला नाड़ी से सुषुम्णा में होता हैं जिससे सुषुम्णा में उपस्थित सात चक्र और कुण्डलिनी शक्ति जागृत होती हैं और मनुस्य को आत्म साक्षात्कार होता हैं ! इसके लिए इस प्राणायाम को कम से कम प्रतिदिन 500 बार तक  करना होता हैं !
कपालभाति प्राणायाम करने से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती हैं!


4. सूर्यभेदी प्राणायाम 

सूर्यभेदी प्राणायाम को केवल सर्दियों में किया जाता हैं !
सूर्यभेदी प्राणायाम हमारे शरीर में ऊर्जा और ऊष्मा का संचार करता हैं ! इस प्राणायाम को करने के लिए किसी आरामदायक आसन में बैठ जाएँ और अपने दाएं हाथ को ऊपर उठायें और दोनों मध्य की उँगलियों से बाएं नथुने को बंद करे और दाएं नथुने से स्वांस अंदर लें फिर अंगूठे से दाएं नथुने को बंद करे और अपनी उँगलियों को हटाते हुए बाएं नथुने से स्वांस बाहर निकालें ! इस प्रकार यह एक सूर्यभेदी प्राणायाम का एक चक्र पूर्ण होता हे !
इस प्राणायाम में स्वांस को दाएं नथुने से अंदर लेना हैं और बाएं नथुने से बाहर निकलना हैं!


5. चन्द्रभेदी प्राणायाम 

यह प्राणायाम सूर्यभेदी प्राणायाम से बिलकुल विपरीत हैं! चन्द्रभेदी प्राणायाम को ग्रीष्म ऋतू में किया जाता हैं क्योकि इस प्राणायाम को करने से हमारा शरीर ठंडा होता हैं !
चन्द्रभेदी प्राणायाम करने के लिए बाएं नथुने से स्वांस को अंदर लेते हे और दाएं नथुने से स्वांस को बाहर निकालते हैं !यह प्राणायाम हमें गर्मी के मौसम में होने वाली समस्या से बचाता  हैं!


6. भ्रामरी प्राणायाम 

किसी भी आरामदायक आसन में बैठ कर अपने हाथों को ऊपर उठा लें और अंगूठे से अपने कान बंद करें और अपनी उँगलियों को गालों पर रखें !
अब नासिका से गहरी स्वांस अंदर खींचें और मुँह से ॐ का उच्चारण करें !
इस प्राणायाम को प्रतिदिन 5 मिनिट जरूर करें !यह प्राणायाम करने से हमारा मन बिलकुल शांत और पवित्र हो जाता हैं ! याद्दास्त को बढ़ाने में मदद करता हैं !


सुबह -सुबह यह प्राणायाम करने से हमारा सम्पूर्ण शरीर स्वस्थ और निरोग रहता हैं !

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